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Pradhan Mantri ‘Make in India’ Skim 2022: –
‘MAKE IN INDIA’ YOJANA 2022 :-मेक इन इंडिया क्या है? मेक इन इंडिया से क्या लाभ है? मेक इन इंडिया की आवश्यकता क्या है? आम नागरिक को इस योजना से क्या लाभ मिलेगा?आम आदमी इस योजना का लाभ कैसे उठा सकता है?
साथियों, मेक इन इंडिया भारत की मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी का रोडमैप है, जिसके तहत न केवल मैन्युफैक्चरिंग करना है बल्कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत के अंदर निवेश करने के साथ-साथ उनके लिए एक सुरक्षित माहौल तैयार करना है।
मेक इन इंडिया योजना 25 सितंबर 2014 को भारत के प्रधान मंत्री द्वारा शुरू की गई थी, जिसके तहत भारत जो सामान बाहरी देशों से आयात करता था और अपने देश में लोगों की जरूरतों को पूरा करता था,उन वस्तुओं का निर्माण अपने देश में किया जाना और यहां के लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान करना।
प्रधान मंत्री ‘मेक इन इंडिया’ के तहत वर्ष 2022 तक भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को 16% से बढ़ाकर 25% करने का लक्ष्य रखा गया था, साथ ही यह भी लक्ष्य रखा गया था कि लगभग 10 मिलियन लोगों को रोजगार भी इस सेक्टर से दिया जाएगा।
मेक इन इंडिया-
परिचय-
- प्रधान मंत्री जी द्वारा मेक इन इंडिया इनीशिएटिव राष्ट्र निर्माण की पहल के रूप में शुरुआत की गई थी।
- इसे 25 सितंबर 2014 में लांच किया गया था।
- भारत को वैश्विक डिजाइन और विनिर्माण हब के रूप में विकसित करने के लिए किस की शुरुआत की गई थी।
- मेक इन इंडिया प्रोग्राम में मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस सिद्धांत पर आधारित है।
मंत्रालय-
- वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत मेक इन इंडिया योजना कार्यक्रम चलाया जाता है।
विभाग-
- उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग
उद्देश्य-
- निवेश, नवाचार. विनिर्माण,अवसंरचना व्यापार करने में सुविधा और कौशल विकास को बढ़ावा देना तथा लोगों को आत्मनिर्भर बनाना।
- विदेशी निवेशकों के लिए नए क्षेत्रों का सृजन करना।
- सरकार और उद्योगों के बीच तक रात मकसद के साथ पार्टनरशिप स्थापित करना तथा एक दूसरे से संचार के लिए प्लेटफार्म तैयार करना।
- प्रतिवर्ष मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का ग्रोथ रेट 12 से 14% तक रहने का लक्ष्य रखा गया।
- ‘मेक इन इंडिया’ के तहत ‘ईज आफ डूइंग’ बिजनेस में भारत की रैंकिंग को सुधारना।
अन्य कड़ियां-
- ‘मेक इन इंडिया’ इनीशिएटिव के प्रचार के लिए इन्वेस्टर फैसिलिटेशन सेल(IFC) की स्थापना सितंबर 2014 में कर दी गई थी
- इस सेल का कार्य निवेशकों की सहायता करना तथा कानूनी जानकारी के बारे में बताना है।
- ‘मेक इन इंडिया’ के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने वाले कुछ क्षेत्र निम्नलिखित हैं-
- रक्षा विभाग
- भारतीय रेलवे
- अंतरिक्ष प्रोग्राम
- सिंगल ब्रांड रिटेल इत्यादि।
- लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने 3 pillar बनाया है-
1.FDI= Foraign Direct Investment :-
‘मेक इन इंडिया’ के पहले स्तंभ के माध्यम से यह लक्ष्य रखा गया है कि विदेशी कंपनी जो पहले से ही किसी देश में अपना विनिर्माण संयंत्र स्थापित कर चुकी है या किसी अन्य देश में अपना उत्पाद बनाती है और इस उत्पाद को भारतीय बाजार में लाकर बेचती है।
सरकार की ओर से ऐसी कंपनियों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सुविधा दी गई है ताकि वे पूरी तरह से भारत में निवेश कर सकें और यहां अपना विनिर्माण संयंत्र स्थापित कर सकें।
भारत की मेक इन इंडिया पहल की मदद से भारत की मेक इन इंडिया पहल को भी काफी बढ़ावा मिलेगा और यहां के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
सरकार की इस पहल का असर भी दिख रहा है, भारत सरकार के अनुसार 2022-23 में भारत में लगभग 100 अरब डॉलर का कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है, इससे हम समझ सकते हैं कि सरकार की यह पहल देश के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है।
पहल का लाभ हाल ही में बड़े पैमाने पर देखा गया है, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है और चीन ताइवान पर बहुत आक्रामक रुख अपना रहा है,तब कई विदेशी कंपनियां जैसे ऐप्पल, सैमसंग आदि जो चीन से अपना विनिर्माण करती हैं।
वह प्लांट बंद कर भारत में निवेश करने पर विचार कर रही है, इससे यहां के युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा और इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।
2.Reduce Import: –
दूसरे स्तंभ के तहत, भारत द्वारा आयात को कम करने और विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के साथ-साथ निर्यात को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है।
दोस्तों जब कोई देश आयात करता है और निर्यात करता है, अगर उसका आयात उसके निर्यात से अधिक हो जाता है, तो उस देश का व्यापार घाटा बढ़ने लगता है जिससे उसके विदेशी मुद्रा भंडार पर अतिरिक्त बोझ पड़ने लगता है, जिससे व्यापार में असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाती है।
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विदेशी मुद्रा भंडार वह धन है जिसमें किसी भी देश का केंद्रीय बैंक अलग-अलग देश की मुद्रा को अपने पास रखता है, जिसमें किसी भी देश द्वारा अधिकतम डॉलर ही रखा जाता है।
दूसरे स्तंभ का लक्ष्य किसी भी स्थिति में अपने विदेशी मुद्रा भंडार को कम नहीं होने देना है, साथ ही भारत को एक बड़ा विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में बढ़ावा देना है।
देश का विनिर्माण क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अपना योगदान बढ़ाएगा,साथ ही इसकी मदद से भारत का निर्यात भी बढ़ेगा, जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी, साथ ही व्यापार घाटा भी कम होगा।
3.Indian Brands: –
तीसरे स्तंभ के तहत ‘मेक इन इंडिया’ पहल का तीसरा स्तंभ भारतीय ब्रांड निर्माण को समर्थन और बढ़ावा देना और स्थानीय बाजार आदि में उनकी पहुंच सुनिश्चित करना है।
इस विनिर्माण पहल के तहत यह ध्यान में रखा गया है कि घरेलू निर्माता कंपनी को प्राथमिकता देते हुए, भारतीय बाजार में उसकी पहुंच और उपस्थिति सुनिश्चितकरने के साथ-साथ सरकार के साथ बड़े या छोटे किसी भी विनिर्माता से सीधे संचार को सक्षम करने के लिए सरकार द्वारा मंच दिया गया है।
किसी भी प्रकार की समस्या होने पर घरेलू निर्माता सीधे सरकार के समक्ष अपनी समस्या रख सकते हैं। पहल के तहत देश के लघु उद्योग, कुटीर उद्योग और देश में मौजूद सभी छोटी बड़ी इकाइयों को आम बाजार से जोड़ा जाना और उनके द्वारा निर्मित उत्पाद समय पर बाजार में पहुंचें और रसद नीति में सुधार करके, एक जोखिम मुक्त वातावरण बनाया गया है।
इससे देश में स्थानीय स्तर पर बहुत बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होने की अपार संभावनाएं हैं।
‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम के अंतर्गत ऐसे सभी युवा जो अपना स्टार्टअप खोलना चाहते हैं उनको सरकार द्वारा हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है, स्टार्टअप इंडिया स्कीम के तहत इन युवाओं को कुछ वित्तीय मदद देकर भी सरकार प्रयास कर रही है कि युवा अधिक से अधिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़े जिससे अधिक से अधिक रोजगार पैदा हो सके और भारत आत्मनिर्भर देश की तरफ बढ़ सके।
दोस्तों पूर्व के समय में ऐसा भी देखा गया है कि कुछ भारतीय ब्रांड ऐसे भी है जो भारत से शुरू हुए परंतु भारत में उपयुक्त माहौल न मिल पाने के कारण भारत से बाहर के देशों में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाया तथा वहां से अपने सामान को भारत भेजकर व्यापार कर रहे थे।
ऐसे में भारत सरकार ने अपने मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी को बदला तथा उन कंपनियों को कहा कि आप ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में आकर ही मैन्युफैक्चरिंग करें आपको हर संभव मदद दी जाएगी इससे अपने भारतीय ब्रांड को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिल रही है।
‘MAKE IN INDIA’ YOJANA Overview-2022
Name of scheme | ‘MAKE IN INDIA’ YOJANA |
Official website | https://www.makeinindia.com/ |
Launched by | PM Narendra Modi |
Launched Date | 25 sept. 2014 |
विभाग | उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग |
Type Of Article | New Update-2022 |
headquarter | Vanijya Bhawan 16, Akbar Road, New Delhi, Delhi, India |
Ministry | Ministry of Commerce and Industry |
Status | Active |
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मेक इन इंडिया योजना से होने वाले लाभ तथा हानियां
दोस्तों जब किसी देश में किसी भी प्रकार का इकोनामिक रिफॉर्म लाया जाता है तो उससे एक सेक्टर को अत्यधिक मात्रा में लाभ होता है इसके साथ साथ किसी अन्य सेक्टर को इसके कारण थोड़ी बहुत हानि भी होने की संभावना बनी रहती है तो आइए दोस्तों हम जानते हैं कि मेक इन इंडिया के तहत किन क्षेत्रों को अत्यधिक फायदा तथा कि नहीं नुकसान उठाना पड़ सकता है।
मेक इन इंडिया के लिए पंजीकरण कैसे करें?
मेक इन इंडिया में रजिस्ट्रेशन करने के लिए आपको सबसे पहले पोर्टल की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर सभी जरूरी जानकारियां भरकर सबमिट करना होगा, सभी दस्तावेजों का सेल्फ प्रूफ जरूरी है। Click here to Apply Now-https://www.makeinindia.com/
मेक इन इंडिया योजना से लाभ-
- इस योजना की मदद से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अत्यधिक मात्रा में जॉब उत्पन्न होगी जिससे देश में बेरोजगार युवा को नौकरी मिल सकेगी।
- बड़ी-बड़ी विदेशी कंपनियां बाहर से भारत में निवेश करने के लिए आएंगी।
- मेक इन इंडिया इनिशिएटिव के द्वारा भारत का फॉरेक्स रिजर्व को बढ़ाने में मदद मिलेगा।
- मेक इन इंडिया इनीशिएटिव के तहत भारत वस्तुओं का निर्माण अपने देश के भीतर करके दूसरे देशों में बेच सकेगा जिससे भारत का व्यापार घाटा कम से कम हो सकता है।
- भारत के अंदर अपनी सेवाएं देने वाली छोटी कंपनियां भी योजना की मदद से अपने प्रोडक्ट को मार्केट में आसानी से पहुंचा पाएंगे इससे उनका रिवेन्यू बढ़ेगा।
मेक इन इंडिया योजना से हानि-
- देश के अंदर बड़ी-बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी अपना प्लांट लगाएगी जिससे प्रदूषण का स्तर और भी अधिक बढ़ जाएगा।
- मेक इन इंडिया इनीशिएटिव आने पर कृषि क्षेत्र को नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।
- मेक इन इंडिया योजना में विदेशी कंपनियों को पूर्ण रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने का अधिकार दे दिया गया है जिससे स्थानीय छोटे मैन्युफैक्चरर को बड़े पैमाने पर नुकसान होने की आशंका बताई जा रही है।
दोस्तों इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री जी द्वारा 25 सितंबर 2014 को किया गया था तब से लेकर 2022 तक अभी तक किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव इस योजना की और से नहीं दिखा है इसकी मदद से देश को कहीं ना कहीं फायदा ही मिल रहा है।
मेक इन इंडिया योजना के तहत भारत सरकार कई जगहों पर डिफेंस कॉरिडोर भी लगा चुकी है हाल ही में भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में भी डिफेंस कॉरिडोर विकसित करने का प्रस्ताव रखा है। इस लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा इसी प्रकार और भी कई बड़ी कंपनियां भारत में अपने-अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगा रही हैं लंबे समय में भारत को इन सभी चीजों से फायदा ही मिलने वाला है।
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