भारत सरकार अपने टैक्स सिस्टम को और भी आसान बनाने के लिए हाल ही में लागू की गई अपनी वस्तु एवं सेवा टैक्स सिस्टम के विपरीत एक नयी (GST) भी धोखेबाजों के लिए टैक्स चोरी का आजकल एक साधन बनायी गई है. जीएसटी इनवॉयस के नाम पर बड़े पैमाने पर हो रही चोरी को नज़र अन्दाज़ करते हुए छोटे कारोबारियों के साथ-साथ ग्राहकों के लिए भी यह बड़ी मुसीबत बन सकती है. नकली जाली जीएसटी बिल चोरों को टैक्स के नाम पर उनके ग्राहकों द्वारा भुगतान किए गए पैसे को अपनी ही जेब में डालने में पूरी मदद करता है.
कई बार तो जीएसटी बिल सबूतों को निपटाने और आयकर क्रेडिट के दाखिल करने के लिए होते हैं. ओरिजनल जीएसटी बिल के नाम पर दुकानदारों और जाली फर्मों के द्वारा ठगे जाने से अपने आप को बचने के लिए, जाली बिल की पता ग्लगाने के लिए तुरंत उसकी जांच कर सकते हैं कि उन्हें दुकानदार द्वारा दिया गया बिल नक़ली तो नहीं।
जीएसटी चालान क्या है?
जीएसटी फाइन यानी चलान आपूर्तिकर्ता या विक्रेता द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के खरीदार के लिए तैयार किया जाता है जो ख़रीदा हुआ सामान की तरह होता है, जो एक बिल के रूप में होता है जो वस्तुओं और सेवाओं की खरीद में शामिल पक्षों की पहचान करने में समान मदद करता है. दुकानदार द्वारा दिये जीएँ जीएसटी बिल में उत्पाद का नाम, विवरण, आपकी खरीदी गई वस्तुओं और उसकी मात्रा खरीद की तारीख, छूट आदि सब होते हैं. जिससे नक़ली बिल बना कर ग्राहक को बिल के नाम पे ठगा भी जा रहा है।
जाली जीएसटी चालान क्या है?
नकली जीएसटी चालान की पहचान के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा लॉंच एप्लीकेशन के माध्यम से वस्तुओं या सेवाओं की जीएसटी भुगतान की बिल के बिना भी नकली जीएसटी बिल तैयार किया जाता है जो एक समान आसान माध्यम के द्वारा किया जाता है. जीएसटी की चोरी, दुकानदार आयकर क्रेडिट को नकदी में बदलने और फर्जी खरीदारी बुक करने और मनी लॉन्ड्रिंग के काम के लिए नकली जीएसटी बिल तैयार कर रहे है जिससे फ़र्ज़ी वक्ति अपनी चोरी को छुपाने के लिए नक़ली आषाधारण बिल बना कर ग्राहकों को लूट रहे है।
नकली और जाली जीएसटी चालान की पहचान कैसे करें?
यदि आपको नकली जीएसटी बिल की पहचान करना है तो इसका सबसे आसान और सटीक तरीका आपूर्तिकर्ता/डीलर/दुकानदार को सौंपे गए 15 अंकों के जीएसटीआईएन नंबर की ठीक प्रकार से सरकार द्वारा दिये जीएँ एप्लीकेशन पर जा कर चेक करना है. जीएसटीआईएन के पहले दो अंक उस दुकानदार के राज्य कोड को दर्शाते हैं जो राज्य सरकार द्वारा तय किया जाता है , अगले दस अंक दुकानदार का पैन नंबर होता हैं, 13वां अंक राज्य में उसी पैन धारक की इकाई संख्या होती है. जीएसटीआईएन में 14वां अंक ‘Z’ अक्षर होता है, और 15वां अंक ‘चेकसम अंक’ होता है जो सरकार के द्वारा निर्धारित जार के ही दिया जाता है। जीएसटीआईएन प्रारूप में कोई भी बेमेल जीएसटी चालान में विसंगतियों जाली की पहचान करने में मदद कर सकता है.